मजदूरों को गुलाम बनाने, युवाओं के भविष्य को नष्ट करने और बुज़ुर्गों के जीवन को असुरक्षित करने की साज़िशों का बेनकाब करें - रवीन्द्र कुमार रवि
न्यूज 9 टाइम्स बेतिया से आशुतोष कुमार बरनवाल की ब्यूरो रिपोर्ट :-
संविधान दिवस के अवसर पर इलमराम चौक स्थित सेवा निवृत्त डीएसपी भन्ते रामदास बौद्ध के निवास स्थान पर डा० शम्भू राम की अध्यक्षता में "भारतीय संविधान और आज का भारत" विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का संचालन नन्दलाल प्रसाद ने किया। संगोष्ठी के उक्त विषय पर प्रवेश उद्घाटन भाषण को संबोधित करते हुए पंचशील बौद्ध विहार के भन्ते रामदास बैठा ने कहा की बाबा साहब के सपने को पूरा करने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आने की जरुरत है।
आगे उन्होंने कहा की केन्द्र की मोदी,शाह शासन द्वारा बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के द्वारा रचित भारतीय संविधान को खत्म करने की साजिश निन्दनीय है। ट्रेड यूनियन सेन्टर ऑफ इंडिया (टूयूसीआई) के राज्य संयोजक रवीन्द्र कुमार रवि ने केन्द्र द्वारा थोपे गए चारों श्रम संहिताओं को महिमामंडित करने के लिए किए जा रहे झूठे कॉरपोरेट प्रचार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का यह दावा कि श्रम संहिताएँ सभी श्रमिकों को न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं जो पूरी तरह बेबुनियाद है।
उन्होंने कहा कि मजदूरों को गुलाम बनाने, युवाओं के भविष्य को नष्ट करने और बुजुर्गों के जीवन को असुरक्षित करने की साजिशों बेनकाब करना होगा। 90% से अधिक मजदूर जो असंगठित क्षेत्र में हैं, श्रम संहिताओं के दायरे से बाहर हैं। अब श्रम संहिताओं ने संगठित क्षेत्र के 90% मजदूरों को भी कानूनी संरक्षण से बाहर कर दिया है। आगे उन्होंने कहा कि चार श्रम संहिता के तहत अब 8 घंटे काम की जगह मजदूरों को 12 घंटे का काम लिया जाएगा। केन्द्र व राज्य सरकारों की इस छलपूर्ण और भ्रामक प्रचारबाज़ी का पर्दाफाश करने के लिए युवाओं को आगे आने का आह्वान किया।
पंचशील बौद्ध विहार के चेयरमैन उषा बौद्ध और डॉक्टर शम्भू राम ने 2025 के बिहार विधानसभा के चुनाव में आदर्श आचार संहिता में लाखों महिलाओं के खातें में दस-दस हजार रुपए सरकार द्वारा भेजे जाने और जीविका दिदियों द्वारा भ्रामक प्रचार कराने की तीव्र भ्रत्सना करते हुए वक्ताद्वय ने कहा कि महिलाओं को मनुवादी सोंच से बाहर निकलने का सुझाव दिए।
पूर्व पार्षद रीता रवि एवं हरिशंकर प्रसाद ने कहा कि श्रम संहिताएँ मजदूरों के ट्रेड यूनियन बनाने और हड़ताल करने के अधिकार को भी नकार देती हैं। 60 दिन पहले अनिवार्य नोटिस की शर्त और समझौता प्रक्रिया चलने के दौरान हड़ताल पर प्रतिबंध मिलकर हड़ताल को लगभग असंभव कर देते हैं और यूनियन बनाने की स्वतंत्रता छीन लेते हैं। यह मोदी सरकार की कॉरपोरेट वर्ग के आगे पूर्ण सरेंडर है और श्रमिकों के विधिक अधिकारों के विरुद्ध है। देश की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी।
संगोष्ठी को डा० उपेंद्र कुमार, संजय कुमार राव, अजीत कुमार, उदयभान सत्यार्थी, रामकिशोर बैठा, मो० खलिल रहमान, दशरथ राम, अवधेश चौधरी आदि बुद्धिजीवियों ने भी संबोधित किया। मौके पर सकलदेव राम, सिकन्दर प्रसाद, डा० प्रेम कुमार, कैलाश राम सहित सैकड़ों गण्यमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहें। उक्त जानकारी मुकेश राम ने दी।
0 टिप्पणियाँ
Comment Here