Bagaha : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के सटे गांव में शहद उत्पादन कर बनाई पहचान, मधुमक्खी पालन कर सुमन देवी बनी महिलाओं की प्रेरणा स्रोत 

न्यूज़ 9 टाईम्स पश्चिमी चंपारण बगहा से नवल ठाकुर की ब्यूरों रिपोर्ट:-

बगहा अनुमंडल के कदमहिया निवासी महिला आज आत्मनिर्भरता की एक नई कहानी लिख रही हैं। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल से सटे इस गांव में सुमन देवी अपने पति सत्येंद्र सिंह के साथ मिलकर मधुमक्खी पालन कर शुद्ध शहद का उत्पादन कर रही हैं। उनके द्वारा तैयार शहद की मांग अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रही, बल्कि दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड और दुबई तक पहुंच चुकी है।

शहद की बढ़ी मांग, विदेशों में भी महक

सुमन देवी बताती हैं कि करीब छह वर्ष पहले बागवानी मिशन के बीएचओ निधि की प्रेरणा से उन्होंने डरते-डरते मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद बगहा के तत्कालीन एसडीएम दीपक मिश्रा के सहयोग से सरकारी योजना के तहत उन्हें आगे बढ़ने का अवसर मिला।

तत्कालीन एसडीएम का मिला सहयोग 

शुरुआत में गांव और रिश्तेदारों ने महिला होकर बाहर निकलने पर मजाक बनाया, लेकिन सुमन ने हार नहीं मानी।

वर्तमान में सुमन के पास 50 बी-बॉक्स हैं।सर्दियों के मौसम होने के कारण हर बी-बॉक्स से औसतन 15 किलो शहद प्रति माह का उत्पादन हो रहा है। करीब 750 किलो प्रतिमाह हो रहा है। एक किलो शहद की कीमत 500 है।इससे उन्हें हर महीने लगभग तीन लाख पचास हजार रुपये तक की आमदनी हो रही है। 

तीन लाख पचास हजार रुपए की बढ़ी आमदनी 

इस आमदनी से आज उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो चुका है।

सुमन देवी बताती हैं कि पहले वह अपने पति के साथ दूसरे प्रदेश में एक फैक्ट्री में मजदूरी करती थीं। कठिन परिस्थितियों और सामाजिक तानों से परेशान होकर उन्होंने गांव लौटकर खुद का काम शुरू करने का फैसला किया। पहले जैविक खेती और मशरूम उत्पादन किया, फिर राजस्थान जाकर एक माह का प्रशिक्षण लेकर मधुमक्खी पालन शुरू किया।

आज सुमन“रुद्र नेचुरल हनी एंड सोप”नाम से अपने उत्पाद की ब्रांडिंग कर रहा है। आज उनकी शहद की सप्लाई सेना के कैंटीन से लेकर दुबई तक हो रही हैं। सुमन कहती हैं कि मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी महिला अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है। 

सुमन बनी महिलाओं की प्रेरणा स्रोत 

अभी तक करीब 150 महिलायें सुमन की प्रेरणा से स्वरोजगार शुरु कर चुकी है जिनमें 70 पुरी तरह से स्थापित होकर अपनी आर्थिक विकास कर रही हैं।कदमहिया की सुमन आज सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। 



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